Monday, March 9, 2009

होली के हैं ये हुड़दंग छेड़ाछाड़ी गुलाल और भंग प्यार मिलन त्याग विश्वास च़ार रंगों की भरी पिचकारी एक पडौ़सी ने दूजे़ पे डाली एक ने रंग भरा मिलन का दूजे़ ने उसमें डाला प्यार त्याग ने रंग खूब जमाया चमक उठा आपसी विश्वास आओ हम भी खे़लें ऐसी होली जिसमें छूटे न तोप और गोली भूलें सारी तक़रारें हम बंाटें एक दूजे के गम़ एंेसी होली रोज़ हम खेलें खुशियों के लगने लगें मेले कहने लगी रंगों की फुहार सभी रिश्तों की लगाएं गुहार हरे सफेद और नारंगी रंगों से कुछ रंग चुराएं बैर वैमनस्य दूर भगाकर आओ गले लगे लगाएं होली के हैं ये हुड़दंग हल्ला हुल्ला दंगमदंग

ब्लोग कि कसम .........